गुरुवार, 3 जून 2021

6.1अजामिल,नाम महिमा

 जैसे सोया हुआ अज्ञानी पुरुष स्वप्न के समय प्रतीत हो रहे कल्पित शरीर को ही अपना वास्तविक शरीर समझता है, सोए हुए अथवा जागने वाले शरीर को भूल जाता है ;वैसे ही जीव भी अपने पूर्व जन्मों की याद भूल जाता है और वर्तमान शरीर के सिवा पहले और पिछले शरीरों के संबंध में कुछ भी नहीं जानता।49

जीव इस शरीर में पांच कर्मेंद्रियों से लेना-देना चलना फिरना आदि काम करता है पांच ज्ञानेंद्रियों से रूप आदि  पांच विषयों का अनुभव करता है और सोलहवे मन के साथ सतरवा वह स्वयं   मिलकर अकेले ही मन ज्ञानेंद्रियों कर्मेंद्रियों, इन तीनों के विषयों को भोक्ता है। जीव का यह 16 कला और सत्व आदि 3 गुण वाला लिंग शरीर अनादि है ,यही जीव को बार-बार हर्ष शोक भय और पीड़ा देने वाले जन्म मृत्यु के चक्कर में डालता है 50,51.

6.1अजामिल,नाम महिमा

 जैसे सोया हुआ अज्ञानी पुरुष स्वप्न के समय प्रतीत हो रहे कल्पित शरीर को ही अपना वास्तविक शरीर समझता है, सोए हुए अथवा जागने वाले शरीर को भूल ...